विद्यालय का वार्षिकोत्सव पर निबंध हिंदी में | Vidyalaya Ka Varshikutsav

विद्यालय का वार्षिकोत्सव पर निबंध हिंदी में - Vidyalaya Ka Varshikutsav 


प्रत्येक संस्था अपना वार्षिकोत्सव मनाती है । यह उत्सव उसकी वर्षगाँठ के दिन मनाया जाता है । उत्सव ही किसी भी संस्था तथा समाज की जागृति के सूचक होते हैं । सभ्य से सभ्य और असभ्य जातियों में उत्सव अपने-अपने ढंग पर बहुत उत्साह से मनाये जाते हैं । कुछ उत्सव घरेलू होते हैं जिन्हें केवल पारिवारिक सदस्य ही मिलकर मनाते हैं । कुछ सार्वजनिक उत्सव होते हैं, जिनमें समाज का प्रत्येक व्यक्ति भाग ले सकता है । इन सार्वजनिक उत्सवों में कुछ धार्मिक, राजनैतिक, राष्ट्रीय तथा शिक्षा सम्बन्धी उत्सव भी होते हैं । 

विद्यालय में शिक्षा सम्बन्धी उत्सवों की प्रधानता होती है । प्रत्येक वर्ष कुछ अन्य उत्सवों के अतिरिक्त विद्यालय का वार्षिकोत्सव विशेष रूप से मनाया जाता है । दिसम्बर के महीने में प्रतिवर्ष की भाँति इस वर्ष भी विद्यालय में वार्षिकोत्सव बड़ी धूम-धाम के साथ मनाया गया। महीनों पहले से वार्षिक रिपोर्ट, भाषण, निमन्त्रण-पत्र और विद्यालय की सजावट का कार्य शुरू हो गया । सर्वमान्य सज्जनों पर निमन्त्रण भेजे गये । षट्मासिक परीक्षा के समाप्त होते ही सभी अध्यापक एवं छात्र उत्सव की तैयारी में जुट गये थे ।
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आज विद्यालय के उत्सव का प्रथम दिवस है । बाहर के कुछ सज्जन कल शाम से आये हुये हैं । सभा मंडप की शोभा निराली ही है । कहीं सुन्दर अक्षरों में लिखे आदर्श वाक्य टंगे हैं, कहीं रंग-बिरंगी झण्डियाँ बँधी है । निमन्त्रित सज्जनों एवं नेताओं के बैठने के स्थान को ऊँचा करके श्वेत चाँदनी से ढक दिया गया है । ठीक ८ बजे यज्ञ-हवन किया गया । यज्ञहवन के पश्चात खेल-कूद का कार्यक्रम प्रारम्भ हुआ । खेल में अध्यापकों तथा छात्रों ने समान रूप से भाग लिया । प्रत्येक खेल में सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों को क्रमशः प्रथम, द्वितीय तथा तृतीय पुरस्कार मिले । इन खेलों का कार्यक्रम १२ बजे तक चला । दोपहर २ बजे से भाषण आदि का कार्य आरम्भ हो गया । पंडाल में बने मंच पर ही हारमोनियम बाजा बजने लगा । सभी लोग पंडाल की ओर आने शुरू हो गये । सभापति महोदय का चुनाव हुआ और उन्होंने अपना स्थान सुशोभित किया । छात्र और अन्य महानुभावों के भाषण प्रारम्भ हो गये । सभी स्त्री-पुरुष क्रम से होने वाले भाषण और भजनों को तत्परता से सुन रहे थे । चारों ओर सुप्रबन्ध के लिये विद्यार्थी एवं स्वयं सेवक खड़े थे । भाषण समाप्त होने पर दान की अपील की गयी । फिर क्या था, कोई १००) कोई ५००) नकद दे रहा था । कोई कमरा बनवा देने का वचन दे रहा था । इस प्रकार यह कार्यक्रम साँय चार बजे तक चलता रहा ।

रात्रि में वाक् प्रतियोगिता और कवि सम्मेलन का संक्षिप्त कार्यक्रम चला । दूसरे दिन प्रातः से ही पहले दिन की भाँति ही व्यस्त कार्यक्रम रहा । आज छात्रों को विविध पुरस्कार भी वितरित किये जाने वाले थे । इस कार्यक्रम के लिये माननीय जिलाधीश महोदय को आमन्त्रित किया गया था

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दोपहर बाद मन्त्री महोदय ने वार्षिक रिपोर्ट पढ़कर सुनाई । जनता में रिपोर्ट की पुस्तकें भी बाँटी गयी । इसके बाद फिर दान की अपील की गयी । पहले दिन की भाँति आज भी पर्याप्त दान आया । कई महानुभावों ने कमरे पटवा देने के वचन दिये । इसी बीच में तीन बजे जिलाधीश महोदय भी आ पहुँचे । मैनेजर तथा प्रधानाचार्य महोदय ने अन्य अनेक प्रतिष्ठित व्यक्तियों के साथ जिलाधीश महोदय का भव्य स्वागत किया । जिलाधीश महोदय ने अपना संक्षिप्त भाषण देकर प्रधानाचार्यजी के आग्रह करने पर पुरस्कार वितरण का कार्य प्रारम्भ किया । पुरस्कार वितरण की समाप्ति पर सभापति ने भाषण दिया । उन्होंने स्कूल की प्रगति पर प्रसन्नता प्रकट की और भविष्य में उन्नति के लिये कामना की ।

इसके पश्चात प्रधानाचार्य महोदय ने आगन्तुक महानुभावों तथा सभापति महोदय ने इस उत्सव की खुशी में विद्यार्थियों को दो दिन की छुट्टी भी दी।

ऐसे उत्सव प्रत्येक संस्था के लिये बहुत उपयोगी होते हैं । स्कूलों का वार्षिकोत्सव मनाने का उद्देश्य यह भी है कि इससे जनता तथा विद्यालय का घनिष्ट सम्बन्ध हो जाता है । विद्यार्थियों को पुरस्कार मिलने का प्रोत्साहन मिलता है | उनमें मिल-जुलकर कार्य करने की भावना एवं क्षमता आती है ।

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