रक्षा बंधन पर निबंध - Raksha Bandhan Nibandh in Hindi

रक्षा बंधन पर निबंध in Hindi

वीर हुमायूँ बंधु बना था, विश्व आज भी साक्षी है।

प्राणों की बाज़ी रख जिसने पत राखी की राखी है।।

यही चाहती बहिन तुम्हारी, देशभक्ति मत विसराना।

स्वतन्त्रता के लिए बंधु हँसते-हँसते मर जाना ।।

-सुभद्रा कुमारी चौहान

रक्षा बंधन प्रस्तावना 

वैदिक काल में आर्य मनीषियों ने ऋतुओं का लक्ष्य रखते हुए वर्णानुसार अमोद-प्रमोद की निश्चित तिथियाँ निश्चित कर दी थी। उन्ही तिथियों पर आज भी उनके वंशज परम्परागत अमोद-प्रमोद मानते चले आ रहे है। काली घटाओं से आच्छादित वर्षा ऋतु के सुहावने समय में श्रावणी निर्मल आकाश शरद की सुहावनी ऋतु में दशहरा और इसी ऋतु की अन्धकार रात्रि बेला में दीपावली तथा बसन्त ऋतु की आगमन बेला में होली के पर्व मनाये जाते हैं।
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रक्षा बंधन का समय

प्राणदायिनी वर्षा ऋतु की पावन बेला में जब सर्वत्र हरियाली का सात्राज्य होता है, प्रकृति नव पल्लवों के परिधानों से सुशोभित होती है, धरा हरित पटल धारण किये होती है, नदी नद, नाले फैनिल को धारण किये चलते है। मोर, पपीहे और दादुर की ध्वनि गुंजरित होती है। ऐसी सुहावनी ऋतु में श्रवण मास की पूर्णमासी के दिन यह त्यौहार भारत के घर-घर में मनाया जाता है। वैसे इस त्यौहार की छटा सावन मास के प्रारम्भ से ही दिखाई देने लगती है। स्त्रियाँ भी श्रावणी के गीत अपनी ससुराल में बैठी हुई भाईयों की याद में गाया करती है।

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रक्षा बंधन का महत्त्व

आर्यो ने जातियों को चार श्रेणी में विभाजित कर दिया था। ब्राह्मण, क्षत्री, वैश्य और शूद्र । उसी प्रकार चारों वर्गों के साथ चार त्यौहारों का सम्बन्ध है। ब्राह्मणों का मुख्य त्यौहार श्रावणी था। इसका दूसरा नाम रक्षा बन्धन भी है। राजाओं के रक्षार्थ ब्राह्मणों द्वारा अभिमन्त्रित रंगीन डोरा बाँधने से इसका नाम रक्षा बन्धन पड़ा। प्राचीन काल में जब क्षत्रिय युद्ध में रत रहते थे। दूसरे देशों पर आक्रमण करना और विजय दुन्दुभी बजाना ही उनका कार्य हुआ करता था। उनकी कृपाणे वर्षा ऋतु में म्यानों के अन्दर चली जाती थीं, क्योंकि वर्षा-जल से मार्ग अबरुद्ध हो जाया करते ये और ऐसे समय में ही ब्राह्मण कई दिन पूर्व से हरियाली उगाकर यज्ञ किया करते थे और रक्षा-सूत्र (राखी) की अपने यजमानों को उनकी रक्षा के लिए दिया करते थे ताकि उनके यजमान युद्धक्षेत्र में जाकर विजयश्री प्राप्त करें। इसके बदले में उनके यजमान ब्राह्मणों को धन देकर सन्तुष्ट किया करते थे। । युद्ध की विभीषिका में बहिनों को भी अपना सतीत्व बचाने की चिन्ता लगी रहती थी, इसलिए वह भी इस दिन को अपने भाइयों की कलाइयों में रक्षा सूत्र बांधा करती थीं और भाई इसके बदले प्राणों की परवाह न करके उनकी रक्षा का वचन दिया करते थे।

रक्षा बंधन का वर्णन

श्रावण मास की पूर्णमासी के लगभग एक सप्ताह पूर्व सभी बीज बोयी जाने वाली उपजाऊ मिट्टी लाते थे और उसे मिट्टी के पात्रों में भरकर गेंहैं व जौ बोया करते थे। यह उपजाऊ द शुद्ध बीज का प्रायोगिक परीक्षण था। दूसरे हरियाली उगाने का ध्येय स्वास्थ्य हित कामना भी थी। तीसरे यज्ञ स्थलों पर हरियाली पूर्ण मिट्टी के पात्रों को रखना भी था। समय की परिस्थितियों ने सभी ध्येयों को दूर हटा दिया, अब केवल एक लीक पीटना मात्र रह गया है । पूर्णमासी की सांपकाल बेला में जब भुवन भास्कर अस्ताचल की ओर गमन करते हैं और चाँद प्राची दशा में मन्द मुस्कान के लिए मेष-पटल से आँख मिचौनी खेलता हुआ निकलता है उसी समय सभी बाल वृद्ध बोये हुए पात्रों को लेकर सजधज के साथ घरों के बाहर निकलते हैं और किसी पवित्र स्थल पर जाकर पात्रों को फोड़ कर भुजरियों को घर ले आते हैं फिर एक दूसरे को भुजरियाँ देकर मिलन होता है। सभी एक दूसरे के चरणस्पर्श या सादर अभिवादन की क्रिया करते हैं। यह कार्यक्रम कई दिवस चलता रहता है।

राखी का गौरव

प्राचीनकाल में राखी का महत्व इसी से पता चलता है कि रानी कर्णवती ने हुमायूँ को राखी भेजकर अपनी रक्षा की याचना की थी। मुस्लिम होते हुए भी सम्राट हुमायूं ने राखी का गौरव रखा और जाकर बहिन कर्णवती की रक्षा की। प्राचीन पुस्तक आल्हा में भी 'भुजरियों की लड़ाई' का उल्लेख आता है। उस समय क्षत्रिय राखी बंधवाकर बहिनों की रक्षा अवश्य प्रदान किया करते थे।
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उपसंहार

वर्तमान समय में अशिक्षित ब्राह्मण भी पैसों के लोभ में राखी घर-घर बांधते फिरते हैं। उनका सम्मान ठीक वैसा ही होता है जैसा प्रत्येक घर से दुत्कारे हुए कुत्ते का होता है । रक्षासूत्र लेने व देने वालों का प्रमुख ध्येय पैसा ही होता है बहिन सुभद्रा कुमारी चौहान की भावना के अनुसार हमारी बहिनों को चाहिए कि वह उन्हीं देशभक्त भाइयों की कलाई में राखी बाँधे जो देश पर हँस-हँस कर मर जाने वाले हों। हमारे देश के ब्राह्मण वर्ग भी देश वासियों की रक्षा सूत्र-मंगलमय कामना लेकर प्रदान करें ताकि हम यशस्वी बनें और अपने शत्रुओं का मान-मर्दन कर सकें। श्रावणी ! तुम्हारा दिव्य सन्देश देश की जागृति के लिए प्रति वर्ष आवे ताकि हम कल्याण पथ की ओर अग्रसर हो सकें।

रक्षा बंधन पर 10 लाइन निबंध

  • रक्षाबंधन भाई बहन का त्यौहार है।
  • रक्षाबंधन राखी सावन के महीने में मनाया जाता है।
  • रक्षाबंधन के दिन बहन अपने भाई को राखी बांध कर अपने भाई की लंबी उम्र की प्रार्थना करती है।
  • रक्षा बंधन को राखी का त्यौहार भी कहा जाता है।
  • राखी का त्यौहार हिंदू धर्म में मनाया जाता है।
  • राखी के दिन घरों में कई तरह के पकवान बनाये जाते हैं।
  • रक्षा बंधन के दिन लोग अपने पेड़ों,मशीनों, गाडियों, आदि पर राखी बांधते हैं जिससे उनका प्यार बरकरार रहता है।
  • रक्षा बंधन के दिन बसों, मेट्रों, आदि का किराया नहीं लगता।
  • रेशम की राखी से लेकर सोने की राखी तक बांधी जाती है।
  • भाई अपनी बहन को उपहार देते हैं।
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