रेल यात्रा पर निबंध, रेलयात्रा का वर्णन हिन्दी में | Railyatra Esaay in Hindi
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है । वह समाज के प्राणियों के साथ मिल-जुलकर रहना अधिक पसन्द करता है । कभी-कभी वह दूर बसे हुये मित्रों, सम्बन्धियों तथा अन्य परिचितों से मिलने के लिये यात्रायें भी किया करता है । कुछ यात्रायें मनोरंजन के दृष्टिकोण से की जाती हैं । यात्रा के द्वारा लोग एक दूसरे स्थान की संस्कृति, सभ्यता और प्राकृतिक शोभा से परिचित हो जाते हैं।
पिछले वर्ष मैंने गर्मियों की छुट्टियों में मित्रों के साथ दिल्ली की यात्रा करने का कार्यक्रम बनाया । आवश्यक सामान बाँधकर हम सन्ध्या समय तक तैयार हो गये । दिल्ली जाने की खुशी में हमारा हृदय उछल रहा था । आज की रात हमें बड़ी लम्बी प्रतीत हो रही थी। जैसे-तैसे करवटें बदलते रात्रि समाप्त हुई । सूर्य की सुनहरी किरणें निकलने भी नहीं पायी थीं कि हम बिस्तरों पर से उठ खड़े हुये क्योंकि गाड़ी प्रातः छ: बजे प्रस्थान करती थी । हम शीघ्र ही स्टेशन पहुँच गये ।

प्लेटफार्म का दृश्य किसी मेले से कम न था । गाड़ी के आने पर जैसे-तैसे हम डिब्बे में चढ़ गये। कुछ देर बाद गाड़ी धीरे-धीरे चलने लगी और प्लेटफार्म का वह मनोरंजक दृश्य भी हमारी आँखों से ओझल होता गया ।
गाड़ी एक्सप्रेस थी इसलिये मुख्य-मुख्य स्टेशनों पर रुकती थी । रास्ते में हरे-भरे खेत तथा बीहड़ जंगल दिखाई देते थे । कहीं-कहीं पर नदियाँ बहती दिखाई देती थीं । गाड़ी के डिब्बों में आकर भिखमंगे यहाँ तक कि छोटे-छोटे बच्चे भी मधुर तान से गीत सुनाकर पैसे माँगते थे । कहीं पर डिब्बे में बीड़ी, सिगरेट और पूरी बेचने वाले नजर आते थे। इस प्रकार दृश्यों का आनन्द लेते हुये हम दिल्ली पहुँच गये । दिल्ली पहुँचकर हमने मुख्य-मुख्य स्थानों का भ्रमण किया.। सर्वप्रथमं हमने लाल किले में प्रवेश करके वहाँ की प्रदर्शनी को देखा जो बहुत ही मनमोहक थी । लालकिले से लौटकर हमने जन्तर-मन्तर, संसद भवन, कुतुबमीनार आदि को देखा । भ्रमण करने के बाद हमने चाँदनी चौक से कुछ सामान खरीदा । इस प्रकार हमने तीन दिन तक लगातार भ्रमण करके आनन्द लिया ।
यात्रा समाप्त करके हम पुनः घर लौटकर वापिस आ गये । यात्रा में यद्यपि हमें अनेक प्रकार की कठिनाईयाँ सहन करनी पड़ीं, फिर भी यात्रा से हमारे आत्मविश्वास में और वृद्धि हुई । यात्रा द्वारा कठिनाईयों को सहने की शक्ति मिलती है । हमें एक दूसरे के साथ उचित व्यवहार करने का ढंग आता है । इस प्रकार यात्रा से हमको काफी लाभ होता है ।
यात्रा से अनेक लाभ हैं । भिन्न-भिन्न मनुष्यों के पारस्परिक परिचय से हमारे व्यावहारिक ज्ञान की वृद्धि होती है । नई-नई वस्तुयें देखने को मिलती हैं । हम जगत के खुले वायुमण्डल में प्रवेश करते हैं । भ्रमण से हमारा ज्ञान बढ़ता है । मार्गदृश्य हमारी आँखो तथा हृदय के लिये बहुत सुखदायी होते हैं । सच तो यह है कि आज कोई भी मनुष्य बिना यात्रा के वास्तविक मनुष्य नहीं बन सकता है ।
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