सिनेमा (चलचित्र) पर निबंध हिंदी में | Cinema / Chalchitr Essay in Hindi

सिनेमा (चलचित्र) पर निबंध हिंदी में | Cinema / Chalchitr Essay in Hindi


आजकल सिनेमा इतना लोकप्रिय हो गया है कि इसके सामने आज का मनुष्य प्रत्येक चीज को तुच्छ समझता है । जब मनुष्य पिक्चर देखकर वापस आते हैं तो उनके दिल खुशी से झूमते रहते हैं । हम कह सकते हैं कि आज का सिनेमा मानव समाज के मनोरंजन के लिए विज्ञान की देन है ।
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चलचित्र का आविष्कार काफी वर्षों पहले हो गया था । सन १८६० में अमेरिका के एक वैज्ञानिक केलसर द्वारा ऐसा यन्त्र बनाया गया जिसमें बड़े-बड़े चित्र दिखाई देने लगे। प्रारम्भ में चलचित्र मूक होते थे । सभी चित्र बिना बोलने वाले होते थे । लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया विज्ञान जगत की उन्नति हुई, वैसे ही सिनेमा जगत में भी उन्नति हुई। चलचित्रों ने बोलना आरम्भ कर दिया । अब तो स्थिति यह है कि रंगीन चलचित्र देखने पर कुछ ऐसा लगता है कि जैसे वास्तव में ही रंगमंच पर कोई अभिनय या नाटक कर रहा हो ।

चलचित्र प्रदर्शन से मनुष्य को बहुत से लाभ होते हैं । चलचित्र मनुष्य के मनोरंजन के लिए सबसे बड़ा साधन है । जब आदमी दिन भर के परिश्रम और चिन्ता से थककर सिनेमा में बैठता है तो दिमाग की थकान दूर हो जाती है ।

शिक्षाप्रद चलचित्रों को देखने से मनुष्य को कुछ अच्छी शिक्षा मिलती है और उसके ज्ञान में वृद्धि होती है । समाज में फैली कुरीतियों के प्रति वह सावधान हो जाता है । इस प्रकार सिनेमा शिक्षा, ज्ञान वृद्धि और समाज सुधार में सहायक होता है | भिन्न-भिन्न स्थानों के दृश्य देखकर देश की भौगोलिक स्थिति से हम परिचित होते हैं । देश की भिन्न-भिन्न जगहों के बारे में ज्ञान प्राप्त होता है । आज का व्यापारी वर्ग सिनेमा में अपने विज्ञापन निकलवाकर अपने व्यापार में वृद्धि करता है ।

ऊपर बताए गए लाभ मनुष्य को तभी मिल सकते हैं, जब इसी उद्देश्य को लेकर पिक्चर बनाई जाए । कुछ ऐसी भी फिल्में हैं जिनका प्रभाव दर्शकों पर अच्छा न पड़कर बुरा पड़ता है । चलचित्रों में आजकल सुधार की बहुत बड़ी आवश्यकता है | आज की युवा पीढ़ी को चलचित्रों से बहुत लाभ हो सकते हैं ।

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